जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता गया, उनकी पूर्व जन्मों की आध्यात्मिक चेतना सामने आने लगी। सपनों और अल्प अनुभूतियों में, उनका सामना दिव्य ऊर्जाओं और आत्माओं से हुआ। इन अनुभवों ने बच्चे के भीतर एक ज्वाला प्रज्वलित कर दी, जिससे वे ईश्वर के साथ गहरी समझ और जुड़ाव की तलाश करने लगे।

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