Brahmandniya Nav varsh

ब्रह्माण्डीय नववर्ष

अन्तर्राष्ट्रीय सनातन संस्कृति, अनुसंधान और वैदिक अनुभव महोत्सव

प्राचीन भारतीय सनातन संस्कृति और वेद इन परम्परा के अनुसर चैत्र पक्ष की प्रतिपदा को ब्रह्माण्ड में नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है यह वही दिवस है जिस दिन स्कन्द पुराण के अनुसर ब्रह्मा जी ने अपने तब से सृष्टि का सृजन किया था वही दिन है जिस दिन भगवान श्री राम का अयोध्यावासियों ने राज्याभिषेक किया था , यह वही दिन है जिस दिन से मन भगवती भवानी के पवित्र नवरात्रों का आरंभ होता है मन जगदंबा भवानी की आराधना होती है जो इस संपूर्ण संसार की माता है इस दिन से जूडी कई ऐतिहासिक और धार्मिक विशेषताऐ हैं जो इस दिवस को एक बहुत ही पवित्रा और शुभ दिवस के रूप में व्याप्त करती हैं

 

ब्राह्मण्डीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा।
अंतर्राष्ट्रीय सनातन-संस्कृति अनुसंधान एवं अनुभव का महोत्सव।

प्राचीन भारतीय सनातन-संस्कृति और वैदिक परंपरा के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को संपूर्ण ब्रह्मांड में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। नवन्द पुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने अपनी नाभि से सृष्टि का सृजन किया था। इसी दिन अयोध्या लौटने पर भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना की गई थी। इसी दिन माँ भगवती, भवानी, जगदंबा के पवित्र नवरात्रों का शुभारम्भ होता है। इस दिन से संबंधित अनेक आध्यात्मिक व ऐतिहासिक घटनाएँ हैं, जो इस दिन को अत्यंत पवित्र व शुभ दिन के रूप में स्थापित करती हैं। महाराष्ट्र सहित पश्चिमी भारत के अनेक राज्यों में गुड़ी पड़वा का त्यौहार अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है।

 

 

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माया ततं इदं सर्वं जगदव्यक्त-मूर्तिना ।
मत्-स्थानि सर्व-भूतानि न चाहं तेषु अवस्थितः ॥ (९.४)

By Me, in My unmanifested form, this entire universe is pervaded.
All beings are in Me, but I am not in them.

Chapter 9, Verse 4 of the Bhagvad Gita

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